कैलिफ़ोर्निया नेशनल गार्ड और मरीन के सदस्य 13 जून 2025 को लॉस एंजेलिस में स्थित विल्शायर फेडरल बिल्डिंग के बाहर प्रवेश द्वार की निगरानी करते हुए। ,अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने इस साल की गर्मियों में लॉस एंजेलिस में हजारों नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती की थी। अब एक संघीय न्यायाधीश ने मंगलवार को कहा कि यह कदम अवैध था, क्योंकि इसे आव्रजन प्रवर्तन (Immigration Enforcement) के खिलाफ हो रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच बिना कानूनी आधार के उठाया गया था।Privacy Policy
संघीय न्यायाधीश चार्ल्स ब्रेयर ने कैलिफ़ोर्निया राज्य द्वारा दायर मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प का प्रशासन संघीय कानून का उल्लंघन कर रहा था, जब उसने सैनिकों को संघीय एजेंटों के साथ छापेमारी में शामिल होने के लिए भेजा।
12 सितंबर से आदेश लागू होगा
ब्रेयर के आदेश के अनुसार यह फैसला 12 सितंबर से प्रभावी होगा। उन्होंने राष्ट्रपति के उस बयान का भी उल्लेख किया जिसमें ट्रम्प ने देश के अन्य शहरों में भी नेशनल गार्ड भेजने की धमकी दी थी। ब्रेयर ने लिखा कि इससे ऐसा परिदृश्य बनता है, मानो “राष्ट्रपति स्वयं राष्ट्रीय पुलिस बल के प्रमुख बन गए हों।”
गवर्नर गेविन न्यूज़ॉम की प्रतिक्रिया
कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़ॉम ने अदालत के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र और राष्ट्रपति की संवैधानिक सीमाओं की जीत है।
उन्होंने बयान में कहा:
“कोई भी राष्ट्रपति राजा नहीं होता — ट्रम्प भी नहीं।”
सोशल मीडिया पर न्यूज़ॉम ने ट्रम्प की ही शैली में लिखा: “DONALD TRUMP LOSES AGAIN” (डोनाल्ड ट्रम्प फिर हारे), और जोड़ा, “कोर्ट भी मानते हैं — हमारी सड़कों का सैन्यीकरण और अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल अवैध है।”
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया
वहीं, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने इस फैसले को “न्यायिक अतिरेक” (Judicial Overreach) बताया और आरोप लगाया कि एक “बागी न्यायाधीश” राष्ट्रपति ट्रम्प की शक्तियों को छीनने की कोशिश कर रहा है।
कैली ने बयान में कहा:
“राष्ट्रपति ट्रम्प ने लॉस एंजेलिस को बचाया, जिसे पागल वामपंथी उपद्रवियों ने अराजकता में झोंक दिया था, जब तक कि उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया। यह कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।”
उन्होंने साफ किया कि प्रशासन इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा।
मुकदमे की पृष्ठभूमि
यह फैसला जून में गवर्नर न्यूज़ॉम द्वारा दायर मुकदमे से जुड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया था कि लॉस एंजेलिस में तैनात सैनिक उस कानून का उल्लंघन कर रहे हैं, जो अमेरिकी सेना को घरेलू कानून प्रवर्तन गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है।
न्यूज़ॉम ने उस समय ट्रम्प की कार्रवाई को “तानाशाही की ओर साफ इशारा” बताया था।
ट्रम्प प्रशासन के वकीलों ने तर्क दिया कि जिस कानून की बात की जा रही है — Posse Comitatus Act, 1878 — वह लागू नहीं होता क्योंकि सैनिक कानून लागू नहीं कर रहे थे बल्कि केवल संघीय अधिकारियों की सुरक्षा कर रहे थे।
लेकिन न्यायाधीश ब्रेयर (जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने नियुक्त किया था) ने अपने फैसले में कहा कि यह तैनाती 1878 के कानून का सीधा उल्लंघन है।
न्यायाधीश का आदेश
ब्रेयर ने कहा:
“यह सब जानबूझकर किया गया। प्रतिवादियों ने महीनों तक लॉस एंजेलिस में नेशनल गार्ड और मरीन की तैनाती की, ताकि सैन्य उपस्थिति स्थापित की जा सके और संघीय कानून लागू कराया जा सके। यह Posse Comitatus Act का गंभीर उल्लंघन है।”
हालाँकि, ब्रेयर ने तत्काल सैनिकों की वापसी का आदेश नहीं दिया। लेकिन उन्होंने पेंटागन को मना किया कि सैनिक किसी भी प्रकार की गतिविधियों में शामिल न हों, जैसे:
गिरफ्तारी
तलाशी
जब्ती
सुरक्षा गश्त
ट्रैफिक नियंत्रण
भीड़ या दंगा नियंत्रण
सबूत जुटाना
पूछताछ
मुखबिरी
फिलहाल, लॉस एंजेलिस की सड़कों पर करीब 300 सैनिक तैनात हैं। यह संख्या जून में भेजे गए हजारों नेशनल गार्ड और सैकड़ों मरीन से काफी कम है।
गवर्नर की नई याचिका
ब्रेयर के फैसले के बाद, गवर्नर न्यूज़ॉम ने मंगलवार को एक अंतरिम आदेश (Preliminary Injunction) दायर किया। इसमें उन्होंने ट्रम्प प्रशासन द्वारा सैनिकों की तैनाती को नवंबर चुनाव तक बढ़ाने की योजना पर रोक लगाने की मांग की।
न्यूज़ॉम ने कहा:
“इससे पहले भी सैनिकों की कोई ज़रूरत नहीं थी और अब भी नहीं है कि उन्हें अपनी ही समुदाय के खिलाफ तैनात किया जाए।”
इमिग्रेशन और राजनीतिक टकराव
यह मामला उस समय सामने आया है, जब ट्रम्प प्रशासन कड़े इमिग्रेशन कानून लागू कर रहा है और खासकर डेमोक्रेटिक-शासित शहरों को निशाना बना रहा है।
ट्रम्प पहले ही वॉशिंगटन डीसी में नेशनल गार्ड की तैनाती कर चुके हैं, जहाँ उन्हें सीधा कानूनी नियंत्रण प्राप्त है।
हाल ही में उन्होंने शिकागो, बाल्टीमोर, न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और ओकलैंड में सैनिक भेजने की धमकी दी थी।
कैलिफ़ोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बॉन्टा ने मंगलवार को कहा:
“स्थानीय पुलिस को दरकिनार कर शहरों का सैन्यीकरण जनता का भरोसा तोड़ता है और सुरक्षा को खतरे में डालता है। ट्रम्प ने साफ कर दिया है कि दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया सिर्फ पहला राउंड था।”
उन्होंने आगे कहा:
“ब्रेयर का यह फैसला राष्ट्रपति को सोचने पर मजबूर करेगा। अगर ट्रम्प यह कदम फिर उठाएँगे, तो हम भी अदालत जाएंगे।”
ट्रम्प का विवादित कदम
ट्रम्प द्वारा नेशनल गार्ड की तैनाती ने अमेरिकी राजनीति को झकझोर दिया। गवर्नर न्यूज़ॉम और अन्य डेमोक्रेटिक नेताओं ने इस कदम को शक्ति का खतरनाक दुरुपयोग बताया।
जून में ट्रम्प ने लगभग 2,000 नेशनल गार्ड सैनिक तैनात किए थे, जब प्रदर्शनकारियों और इमिग्रेशन अधिकारियों के बीच दो दिनों तक टकराव हुआ।
अगस्त में उन्होंने 2,200 सैनिक वॉशिंगटन डीसी भेजे, जब उन्होंने “क्राइम इमरजेंसी” घोषित की।
परिवहन विभाग ने उस समय डीसी के मुख्य रेलवे स्टेशन यूनियन स्टेशन का प्रबंधन भी अपने हाथ में ले लिया, सुरक्षा और ढाँचे की जरूरतों का हवाला देते हुए।
ऐतिहासिक तुलना
ट्रम्प का यह कदम इतिहास में अलग तरह से दर्ज होगा।
1992 के लॉस एंजेलिस दंगों के दौरान नेशनल गार्ड की तैनाती राज्यपाल और मेयर के अनुरोध पर की गई थी।
इसके विपरीत, 2025 की गर्मियों में ट्रम्प ने एकतरफा फैसला लिया, जबकि लॉस एंजेलिस में उतना गंभीर माहौल नहीं था।