
नई दिल्ली। एशिया कप 2025 शुरू होने से पहले ही भारत-पाकिस्तान मुकाबला सुर्खियों में है। एक ओर जहां फैंस इस महामुकाबले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश के भीतर इस मैच को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आवाजें तेज हो गई हैं कि भारत को पाकिस्तान से क्रिकेट नहीं खेलना चाहिए। लेकिन इन आलोचनाओं के बीच भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने स्पष्ट कर दिया है कि वह सरकार की नीति के मुताबिक ही चलेगा और मल्टीनेशनल टूर्नामेंट्स में पाकिस्तान से खेलने से पीछे नहीं हटेगा।
हमले के बाद उठे सवाल
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस घटना में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। इसके बाद कई पूर्व खिलाड़ी, क्रिकेट प्रेमी और राजनीतिक हस्तियां खुलकर कहने लगीं कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी खेल में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। खासकर क्रिकेट के मामले में यह आवाजें और भी बुलंद हो गईं क्योंकि भारत-पाक मैच को लेकर हमेशा से ही भावनाएं चरम पर रहती हैं।
बीसीसीआई ने तोड़ी चुप्पी
बढ़ते विवाद के बीच बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने मीडिया से बातचीत में स्थिति साफ कर दी। उन्होंने कहा कि क्रिकेट बोर्ड किसी भी तरह का स्वतंत्र फैसला नहीं ले सकता।
“भारत सरकार की नीति बिल्कुल साफ है। हम किसी भी शत्रुतापूर्ण देश के साथ द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलेंगे। लेकिन अगर मल्टीनेशनल टूर्नामेंट्स जैसे एशिया कप, वर्ल्ड कप या आईसीसी इवेंट्स में मुकाबला होता है, तो भारत उसमें जरूर हिस्सा लेगा।”
इस बयान के साथ ही यह साफ हो गया कि भारत पाकिस्तान से द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलेगा, लेकिन एशिया कप 2025 जैसे बहुपक्षीय टूर्नामेंट में उतरना ही होगा।
बहिष्कार की कीमत कितनी बड़ी?
बीसीसीआई अधिकारियों ने यह भी इशारा किया कि अगर भारत इस तरह के टूर्नामेंट्स से बाहर होता है, तो इसके दूरगामी नतीजे हो सकते हैं। देवजीत सैकिया ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर एथलेटिक्स या अन्य ओलंपिक खेलों में भी इसी तरह का बहिष्कार हुआ तो भारत को अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों का सामना करना पड़ सकता है।
“कल्पना कीजिए अगर अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ किसी नियम का उल्लंघन मानकर हमारे खिलाड़ियों पर रोक लगा दे, तो नीरज चोपड़ा जैसे सितारे प्रभावित हो जाएंगे। इसलिए हमें भावनाओं से ऊपर उठकर रणनीतिक सोच अपनानी होगी।”
राजनीति बनाम खेल—एक पुराना सवाल
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, बल्कि राजनीति, कूटनीति और भावनाओं का संगम माना जाता है। दोनों देशों के बीच आखिरी द्विपक्षीय सीरीज 2012-13 में खेली गई थी, जिसके बाद से रिश्तों में खटास बढ़ती ही गई। सीमा पार से जारी आतंकवादी गतिविधियों ने क्रिकेट संबंधों पर पूरी तरह ब्रेक लगा दिया।
फिर भी आईसीसी टूर्नामेंट्स या एशिया कप जैसे आयोजनों में टीमें आमने-सामने आती रही हैं। हर बार यही बहस छिड़ती है—क्या हमें पाकिस्तान के खिलाफ खेलना चाहिए? बीसीसीआई का कहना है कि इस सवाल का जवाब सरकार के पास है और बोर्ड उसकी गाइडलाइन से बाहर नहीं जा सकता।
फैंस की मिली-जुली प्रतिक्रिया
जहां एक वर्ग पाकिस्तान के खिलाफ खेलने का विरोध कर रहा है, वहीं क्रिकेट प्रेमियों का बड़ा तबका इस मैच का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। भारत-पाक मैच अपने आप में विश्व क्रिकेट का सबसे हाई-वोल्टेज मुकाबला माना जाता है। टीवी रेटिंग्स से लेकर स्टेडियम की टिकटों तक, इस मैच का क्रेज अद्वितीय होता है।
खिलाड़ियों पर दबाव
भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ियों के लिए यह मुकाबला हमेशा खास होता है। मैदान पर प्रदर्शन से ज्यादा चर्चा अक्सर भावनाओं और दबाव की होती है। भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली पहले भी कह चुके हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ मैच में मानसिक तैयारी सबसे अहम होती है।
पाकिस्तानी कप्तान बाबर आज़म ने हाल ही में कहा,
“भारत के खिलाफ खेलना हमेशा रोमांचक होता है। यह सिर्फ मैच नहीं बल्कि करोड़ों दर्शकों की उम्मीदों की लड़ाई होती है।”
इस बयान से भी साफ है कि खिलाड़ी भी इस मैच को साधारण मुकाबला नहीं मानते।
सुरक्षा
एशिया कप 2025 का आयोजन दुबई में होना है। यूएई को दोनों देशों के बीच न्यूट्रल वेन्यू के तौर पर चुना गया है। सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर एशियन क्रिकेट काउंसिल और यूएई सरकार पहले ही आश्वासन दे चुके हैं।
बीसीसीआई ने भी कहा है कि खिलाड़ियों और फैंस की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। स्टेडियम में हाई-टेक सिक्योरिटी सिस्टम लगाए जाएंगे और मैच के दिन सुरक्षा बलों की तैनाती दोगुनी होगी।
क्या कहती है जनता?
देशभर में इस मुद्दे पर बंटी राय देखने को मिल रही है।
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एक पक्ष का कहना है कि खेल को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए।
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दूसरा पक्ष यह मानता है कि जब तक सीमा पार से आतंकवाद खत्म नहीं होता, पाकिस्तान को किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर मौका नहीं दिया जाना चाहिए।
जनता की यह दुविधा एशिया कप 2025 के मैच को और भी खास बना देती है।