
नई दिल्ली, 3 सितम्बर 2025 – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक हुई। बैठक में मौजूदा चार कर स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर दो स्लैब (5% और 18%) करने पर सहमति बनी है। इसके साथ ही लक्ज़री और पाप वस्तुओं (sin goods) पर 40% का उच्च कर जारी रहेगा।
LIVE Highlights
🔹 सुबह 11:00 बजे – बैठक की शुरुआत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्घाटन संबोधन के साथ की। उन्होंने कहा कि “जीएसटी को और सरल बनाना सरकार की प्राथमिकता है ताकि उपभोक्ताओं और व्यवसायों दोनों को लाभ हो।”
🔹 दोपहर 12:30 बजे – परिषद ने जीएसटी 2.0 का खाका पेश किया। प्रस्ताव रखा गया कि उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं पर सिर्फ दो दरें लागू होंगी – 5% और 18%।
🔹 दोपहर 2:00 बजे – विपक्षी राज्यों ने आवाज उठाई। कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल सहित आठ राज्यों ने कहा कि दरों में कटौती से होने वाली राजस्व हानि की भरपाई केंद्र को करनी होगी।
🔹 दोपहर 3:15 बजे – कर्नाटक के वित्त मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा ने कहा कि “हमें दर कटौती के प्रभाव की पारदर्शी गणना चाहिए। राज्यों के सामाजिक कार्यक्रम तभी सुरक्षित रहेंगे जब राजस्व संरक्षण की गारंटी मिले।”
🔹 शाम 4:30 बजे – परिषद ने अंतिम निर्णय लेते हुए घोषणा की कि नया दो-स्तरीय कर ढांचा 22 सितम्बर 2025 से लागू होगा।
क्या बदलेगा?
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5% स्लैब – ज़रूरी वस्तुएं और सेवाएं (अनाज, पैकेज्ड फूड, दवाइयाँ, साबुन इत्यादि)
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18% स्लैब – सामान्य उपयोग की वस्तुएं और सेवाएं (इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, ऑटोमोबाइल, रेडीमेड कपड़े)
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40% स्लैब – लक्ज़री और पाप वस्तुएं (महंगी कारें, शराब, तंबाकू उत्पाद)
उपभोक्ताओं पर असर
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घरेलू बजट में राहत: साबुन, बिस्किट, चॉकलेट, पैकेज्ड फूड जैसे सामान सस्ते होंगे।
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त्योहारों से पहले फायदा: दीवाली की खरीदारी में मोबाइल, टीवी और कारों पर कीमत कम होने की संभावना।
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सेवाओं पर भी राहत: कई सामान्य सेवाएं अब 18% दर से टैक्स में आएंगी, जिससे टिकट, होटल और रेस्तरां बिल पर असर पड़ेगा।
व्यापार और उद्योग पर असर
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MSMEs और स्टार्टअप्स – अनुपालन आसान होगा, छोटे कारोबारियों पर बोझ घटेगा।
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FMCG सेक्टर – खपत बढ़ने की संभावना, बिक्री में उछाल।
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ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स – कीमतों में कमी से मांग बढ़ सकती है।
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लक्ज़री सेक्टर – 40% कर जारी रहने से महंगे उत्पाद और महंगे हो सकते हैं।
राज्यों की चिंता
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विपक्षी-शासित आठ राज्यों – कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश – ने कहा कि दर कटौती से होने वाली हानि की प्रतिपूर्ति केंद्र को करनी चाहिए।
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कर्नाटक और पश्चिम बंगाल ने सबसे अधिक दबाव बनाया कि बिना क्षतिपूर्ति तंत्र के सुधार संभव नहीं है।
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राज्यों का कहना है कि अगर उन्हें भरोसा नहीं मिला, तो सामाजिक योजनाएं और विकास कार्य प्रभावित होंगे।
केंद्र का रुख
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केंद्र सरकार का कहना है कि नए ढांचे से खपत बढ़ेगी और लंबी अवधि में राज्यों को नुकसान नहीं होगा।
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वित्त मंत्रालय का मानना है कि बेहतर अनुपालन और टैक्स बेस के विस्तार से राजस्व की भरपाई अपने आप हो जाएगी।
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हालांकि, कोई ठोस क्षतिपूर्ति फॉर्मूला अभी तक घोषित नहीं किया गया है।
विशेषज्ञों की राय
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आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह सुधार उपभोक्ताओं के लिए त्योहारी तोहफा है।
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लेकिन जब तक केंद्र राज्यों को भरोसा नहीं देगा, तब तक वित्तीय संघवाद पर तनाव बना रह सकता है।
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सलाह दी जा रही है कि केंद्र एक नया Compensation Fund बनाए, जिसमें 40% वाले स्लैब से होने वाली आय जमा हो और उसमें से राज्यों को हिस्सा दिया जाए।