Gold Price: भारत और दुनिया में सोने की कीमतें आसमान पर”
भारत में एमसीएक्स (MCX) पर अक्टूबर वायदा ₹1,06,800 प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंच चुका है, जबकि वैश्विक स्तर पर सोना $3,600 प्रति औंस से ऊपर कारोबार कर रहा है। यह तीन महीनों की सबसे बड़ी तेजी है। जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में अगर ब्याज दरों में कटौती होती है और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है, तो सोने की कीमतें और ऊंचाई छू सकती हैं।

पिछले कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजारों में सोने ने एक बार फिर रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है। शुक्रवार को सोने की कीमतें लगातार बढ़ते हुए तीन महीनों का सबसे अच्छा साप्ताहिक रिटर्न दर्ज करने जा रही हैं। जानकारों का कहना है कि यह तेजी सिर्फ मौसमी मांग के कारण नहीं है, बल्कि वैश्विक आर्थिक हालात और निवेशकों की बदलती रणनीतियों का भी इसमें बड़ा योगदान है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पॉट गोल्ड 3,550 डॉलर प्रति औंस से ऊपर कारोबार कर रहा है। वहीं गोल्ड फ्यूचर्स 3,600 डॉलर प्रति औंस को पार कर चुके हैं। पिछले कुछ महीनों में यह सोने की सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त मानी जा रही है।
अमेरिका में कमजोर रोजगार आंकड़ों और मंदी की आशंकाओं ने निवेशकों का रुख डॉलर और इक्विटी से हटाकर सोने की ओर मोड़ दिया है। फेडरल रिजर्व की 17 सितंबर को होने वाली बैठक से पहले बाजार में यह उम्मीद लगातार बढ़ रही है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
ब्याज दरें घटने का सीधा असर यह होता है कि डॉलर कमजोर पड़ता है और सोने की मांग बढ़ जाती है। यही वजह है कि सोना अब रिकॉर्ड स्तरों के करीब पहुंच चुका है।
भारत का गोल्ड मार्केट
भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता देश है। यहां सोना केवल निवेश का साधन ही नहीं, बल्कि परंपरा और संस्कृति का अहम हिस्सा भी है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव का सीधा असर भारतीय गोल्ड मार्केट पर देखने को मिलता है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर अक्टूबर वायदा में सोना लगभग 3,000 रुपये की तेज छलांग लगाकर 1,06,800 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंच गया। यह स्तर अब तक का सबसे ऊंचा है।
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सोने की मौजूदा तेजी के पीछे कई बड़े कारण हैं:
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फेड रेट कट की संभावना
– अमेरिकी फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद सबसे बड़ा फैक्टर है।
सुरक्षित निवेश का विकल्प
– शेयर बाजार और क्रिप्टोकरेंसी में उतार-चढ़ाव के कारण निवेशक सुरक्षित विकल्प ढूंढ रहे हैं।
भू-राजनीतिक तनाव
– वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता सोने की मांग को हमेशा बढ़ाती है।
डॉलर की कमजोरी
डॉलर इंडेक्स में गिरावट आने पर सोना स्वाभाविक रूप से महंगा होता है।
त्योहारी सीजन
– भारत में दिवाली और नवरात्र जैसे त्योहारों में सोना खरीदना शुभ माना जाता है।
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निवेशकों के लिए क्या संकेत हैं?
मौजूदा हालात को देखते हुए निवेशकों के लिए यह सही समय है कि वे अपनी रणनीति पर ध्यान दें।
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अल्पकालिक निवेशक – जो शॉर्ट-टर्म में काम करते हैं, उनके लिए मौजूदा तेजी मुनाफा लेने का अच्छा मौका है।
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दीर्घकालिक निवेशक – सोने को धीरे-धीरे खरीदना और पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाना एक सुरक्षित रणनीति हो सकती है।
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फिजिकल और डिजिटल गोल्ड – दोनों ही विकल्प फिलहाल मजबूत हैं। जो लोग सुरक्षित रखना चाहते हैं, उनके लिए फिजिकल गोल्ड सही है। वहीं आसान निवेश चाहने वालों के लिए डिजिटल गोल्ड और गोल्ड ETFs बेहतर हैं।
क्या कीमतें और बढ़ सकती हैं?
गोल्डमैन सैक्स जैसे बड़े बैंक का अनुमान है कि अगर फेडरल रिजर्व पर राजनीतिक दबाव बढ़ा और ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला जारी रहा, तो सोना आने वाले महीनों में 5,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है।
वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चौथी तिमाही में सोना औसतन 3,700 डॉलर प्रति औंस के आसपास रह सकता है।
भारत में भी मांग लगातार बनी रहने की संभावना है। खासकर त्योहारों और शादी के सीजन के चलते घरेलू बाजार में सोने की खपत बढ़ेगी।