
भारत–फ्रांस की संयुक्त ताकत से यूक्रेन संकट सुलझेगा, नई दिल्ली, 6 सितम्बर 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक़्रों ने शनिवार को एक अहम टेलीफोनिक बातचीत की। इस वार्ता में दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध को जल्द समाप्त करने के लिए शांति पहल पर जोर दिया और साथ ही भारत–फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के संकल्प को दोहराया।
यूक्रेन संकट: शांति का संदेश
बातचीत का मुख्य विषय यूक्रेन युद्ध रहा। प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि भारत की नीति हमेशा से शांतिपूर्ण समाधान और कूटनीतिक वार्ता पर आधारित रही है। उनका कहना था कि किसी भी संघर्ष का हल बंदूक और बारूद से नहीं, बल्कि संवाद और समझौते से निकलता है।
मैक़्रों ने मोदी को हाल ही में बने यूरोपीय देशों के समूह “Coalition of the Willing” के बारे में जानकारी दी। इस समूह में करीब 26 देश शामिल हैं जिन्होंने वादा किया है कि युद्ध समाप्त होते ही वे यूक्रेन की सुरक्षा के लिए स्थायी “रिअशोरेंस फोर्स” (सुरक्षा बल) तैनात करेंगे। यह सुरक्षा ज़मीनी, हवाई और समुद्री स्तर पर होगी ताकि रूस से दोबारा कोई हमला न हो।
भारत ने इस पहल का स्वागत करते हुए यह दोहराया कि शांति स्थापित करने के लिए सभी पक्षों को रचनात्मक संवाद अपनाना होगा।
भारत–फ्रांस संबंधों पर मंथन
दोनों नेताओं ने बातचीत के दौरान द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की भी समीक्षा की। मोदी ने बताया कि पिछले वर्षों में भारत–फ्रांस साझेदारी ने कई क्षेत्रों में ठोस परिणाम दिए हैं।
-
रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग: दोनों देश मिलकर रक्षा उत्पादन और अंतरिक्ष तकनीक में नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।
-
आर्थिक साझेदारी: व्यापार और निवेश में निरंतर वृद्धि हो रही है।
-
विज्ञान व प्रौद्योगिकी: संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं पर काम जारी है।
-
होराइजन 2047 रोडमैप: इस दीर्घकालिक योजना के तहत भारत–फ्रांस सहयोग को अगले 25 वर्षों तक नई दिशा देने की तैयारी है।
मैक़्रों और मोदी ने यह भी तय किया कि वे इंडो–पैसिफिक रोडमैप और डिफेन्स इंडस्ट्रियल रोडमैप को आगे बढ़ाएंगे। इन योजनाओं का लक्ष्य हिंद–प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखना है।
यूरोप की उम्मीदें भारत से
दिलचस्प बात यह है कि यूरोपीय संघ (EU) के नेताओं ने हाल ही में भारत से अपील की है कि वह अपनी अनूठी स्थिति का उपयोग कर यूक्रेन संकट को हल करने में सक्रिय भूमिका निभाए।
भारत एक ऐसा देश है जिसने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संवाद बनाए रखा है। यही कारण है कि यूरोप को उम्मीद है कि भारत शांति वार्ता में पुल की भूमिका निभा सकता है।
कूटनीतिक महत्व
यह बातचीत न सिर्फ यूक्रेन युद्ध पर भारत–फ्रांस की साझा दृष्टि को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और स्थिरता के लिए साथ खड़े हैं।
भारत की रणनीति हमेशा से स्वायत्त कूटनीति (Strategic Autonomy) पर आधारित रही है। यानी, भारत किसी एक गुट के साथ न जाकर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति अपनाता है। इस नीति के कारण ही आज भारत को वैश्विक स्तर पर विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में देखा जा रहा है
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक़्रों की यह बातचीत कई मायनों में ऐतिहासिक कही जा सकती है। एक ओर यह यूक्रेन संकट के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में वैश्विक प्रयासों को गति देती है, वहीं दूसरी ओर भारत–फ्रांस संबंधों को और गहरा बनाने का अवसर भी प्रदान करती है।
Also Read :-https://hindutaajakhabar24.com/gold-price-today-2025/