
कार खरीदारों के लिए राहत की खबर, 12% टैक्स वृद्धि, फिर भी घट सकते हैं दाम, भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर लगातार बदलाव के दौर से गुजर रहा है। हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने मध्यम और बड़ी कारों पर 12% टैक्स बढ़ाने का फैसला किया है। पहली नज़र में यह खबर आम ग्राहकों के लिए महंगाई का संकेत लगती है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि टैक्स स्ट्रक्चर के इस बदलाव के बाद कारों की कीमतें घट भी सकती हैं।
यह फैसला सिर्फ राजस्व बढ़ाने के लिए नहीं लिया गया है, बल्कि इसका मकसद है – टैक्स सिस्टम को सरल बनाना, इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देना और छोटी गाड़ियों को किफायती बनाए रखना।Privacy Policy
टैक्स बढ़ने का असर – महंगाई या राहत?
जब भी टैक्स बढ़ता है, तो आमतौर पर कार की कीमत भी बढ़ जाती है। लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। जीएसटी काउंसिल ने जहां मध्यम और बड़ी गाड़ियों पर अतिरिक्त बोझ डाला है, वहीं छोटे वाहनों और इलेक्ट्रिक कारों को राहत दी है।
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मध्यम और बड़ी कारें – अब इन पर टैक्स 12% ज्यादा लगेगा।
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छोटी और किफायती कारें – टैक्स दरें घटाई गई हैं।
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ईवी और हाइब्रिड कारें – टैक्स छूट और इंसेंटिव से कंपनियों को लाभ मिलेगा।
इसका मतलब है कि लक्ज़री कार सेगमेंट महंगा होगा, लेकिन मिड-रेंज और छोटे सेगमेंट की कारें ग्राहकों को पहले से सस्ती पड़ सकती हैं।
क्यों कहा जा रहा है कि दाम कम हो सकते हैं?
यह सवाल सबसे अहम है कि जब टैक्स बढ़ा है तो कीमतें कैसे घट सकती हैं? इसके पीछे तीन मुख्य कारण हैं –
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इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा
कंपनियों को अब उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स और कच्चे माल पर ज्यादा टैक्स छूट मिलेगी। यानी प्रोडक्शन कॉस्ट कम होगी और उसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा। -
प्रतिस्पर्धा का दबाव
भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार बेहद प्रतिस्पर्धी है। मारुति सुजुकी, हुंडई, टाटा, महिंद्रा और किआ जैसी कंपनियां हर हाल में ग्राहकों को आकर्षित करना चाहती हैं। इसलिए टैक्स बढ़ने के बावजूद कंपनियां डिस्काउंट, ऑफर और नई प्राइसिंग रणनीति अपनाएँगी। -
सरकार का उद्देश्य – बिक्री बढ़ाना
सरकार नहीं चाहती कि टैक्स के बोझ से कारों की बिक्री घटे। इसीलिए टैक्स स्लैब रीबैलेंस करते हुए छोटे और मिड-रेंज वाहनों को राहत दी गई है।
एक उदाहरण से समझिए
मान लीजिए, किसी कार की एक्स-शोरूम कीमत ₹10 लाख थी।
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पुराना टैक्स स्ट्रक्चर में कुल टैक्स मिलाकर कीमत ₹12.5 लाख तक पहुँच जाती थी।
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नए टैक्स स्ट्रक्चर में हालांकि टैक्स 12% बढ़ा है, लेकिन इनपुट टैक्स क्रेडिट और लागत में कटौती से कीमत ₹12 लाख तक भी आ सकती है।
यानी ग्राहक को कुल फायदा मिलेगा, भले ही पहली नज़र में टैक्स वृद्धि दिखाई दे रही हो।
ऑटो कंपनियों की रणनीति
कंपनियों ने इस बदलाव को चुनौती और अवसर दोनों माना है।
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मारुति सुजुकी – छोटे और मिड-सेगमेंट कारों में उनकी पकड़ पहले से मजबूत है। टैक्स छूट का फायदा उठाकर कंपनी और आक्रामक प्राइसिंग कर सकती है।
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हुंडई और किआ – एसयूवी सेगमेंट में मजबूत हैं। मध्यम और बड़ी एसयूवी पर टैक्स बढ़ने से थोड़ी चुनौती होगी, लेकिन कंपनियाँ ग्राहकों को लुभाने के लिए नए ऑफर ला सकती हैं।
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टाटा और महिंद्रा – इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाड़ियों पर फोकस बढ़ाएँगी क्योंकि इस श्रेणी में टैक्स लाभ और सरकारी इंसेंटिव दोनों मौजूद हैं।
उपभोक्ताओं पर सीधा असर
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लक्ज़री कार खरीदने वालों को ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी।
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मध्यम और छोटी कार खरीदने वालों को राहत मिलेगी।
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इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम और आकर्षक हो सकते हैं।
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ऑन-रोड कीमतें कंपनियों की डिस्काउंट पॉलिसी और ऑफर पर निर्भर करेंगी।
भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन चुका है। आने वाले समय में सरकार का लक्ष्य है –
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ईवी बिक्री को बढ़ावा देना।
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लक्ज़री और हाई-एंड कारों से ज्यादा टैक्स वसूलना।
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छोटी और मिड-रेंज कारों को आम जनता के लिए सुलभ बनाना।
इस टैक्स बदलाव के बाद संभावना है कि –
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अगले 6 महीनों में ईवी बिक्री में तेजी आएगी।
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मिड-सेगमेंट कारों की डिमांड और बढ़ेगी।
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कंपनियाँ ग्राहकों को लुभाने के लिए बड़े डिस्काउंट और फाइनेंस स्कीम्स लेकर आएँगी।